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- कॄत्तिका के दूसरे चरण और तीसरे चरण के मालिक सूर्य-शनि,जातक के जीवन में पिता पुत्र की कलह फ़ैलाने मे सहायक होते है,जातक का मानस सरकारी कामों की तरफ़ ले जाने,और सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता देते हैं,पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है.जातक अधिक तर मंगल के बद हो जाने की दशा में शराब,काबाब और भूत के भोजन में अपनी रुचि को प्रदर्शित करता है.
- कॄत्तिका के चौथे चरण के मालिक सूर्य और गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है,वह जब भी कोई बात करता है तो गर्व की बात करता है,सरकारी क्षेत्रों की शिक्षाये और उनके काम जातक को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं,और किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है.
- रोहिणी के प्रथम चरण का मालिक चन्द्रमा-मंगल है,दोनो का संयुक्त प्रभाव जातक के अन्दर मानसिक गर्मी को प्रदान करता है,कल कारखानों,अस्पताली कामों ,और जनता के झगडे सुलझाने का काम जातक कर सकता है,जातक की माता आपत्तियों से घिरी होती है,और पिता का लगाव अन्य स्त्रियों से बना रहता है.
- रोहिणी के दूसरे चरण के मालिक चन्द्र-शुक्र जातक को अधिक सौन्दर्य बोधी और कला प्रिय बनादेता है.जातक कलाकारी के क्षेत्र मे अपना नाम करता है,माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामजस्यता लाता है,जातक या जातिका अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है.
- रोहिणी के तीसरे चरण के मालिक चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है,और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है,जातक या जातिका के जीवन में व्यापारिक यात्रायें काफ़ी होती हैं,जातक अपने ही बनाये हुए उसूलों पर अपना जीवन चलाता है,अपनी ही क्रियायों से वह मकडी जैसा जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने जाल में फ़ंस कर अपने को समाप्त भी कर लेता है.
- रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्र-चन्द्र है,जातक के अन्दर हमेशा उतार चढाव की स्थिति बनी रहती है,वह अपने ही मन का राजा होता है.
- मॄगसिरा के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य हैं,अधिक तर इस युति मै पैदा होने वाले जातक अपने शरीर से दुबले पतले होने के वावजूद गुस्से की फ़ांस होते हैं,वे अपने को अपने घमंड के कारण हमेशा अन्दर ही अन्दर सुलगाते रहते हैं.उनके अन्दर आदेश देने की वॄति होने से सेना या पुलिस में अपने को निरंकुश बनाकर रखते है,इस तरह के जातक अगर राज्य में किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी सम्पत्ति को किसी भी तरह से क्षति नहीं होने देते.
- मॄगसिरा के दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध जातक के अन्दर कभी कठोर और कभी नर्म वाली स्थिति पैदा कर देते हैं,कभी तो जातक बहुत ही नरम दिखाई देता है,और कभी बहुत ही गर्म मिजाजी बन जाता है.जातक का मन कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक सामान को बनाने और इन्ही की इन्जीनियरिंग की तरफ़ सफ़लता भी देता है.
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