जब चन्द्रमा निरयण पद्धति से वॄष राशि में होता है तो जातक की वॄष राशि मानी जाती है,जन्म समय में जन्म लगन वॄष होने पर भी यही प्रभाव जातक पर होता है.इस राशि मे पैदा होने वाले जातक शौकीन तबियत,सजावटी स्वभाव,जीवन साथी के साथ मिलकर कार्य करने की वॄत्ति,अपने को उच्च समाज से जुड कर चलने वाले,अपने नाम को दूर दूर तक फ़ैलाने वाले,हर किसी के लिये उदार स्वभाव,भोजन के शौकीन,बहुत ही शांत प्रकॄति,मगर जब क्रोध आजाये तो मरने मारने के लिये तैयार,बचपन में बहुत शैतान,जवानी मे कठोर परिश्रमी,और बुढापे में अधिक चिताओं से घिरे रहने वाले,जीवन साथी से वियोग के बाद दुखी रहने वाले,और अपने को एकांत में रखने वाले,पाये जाते हैं.इनके जीवन में उम्र की 45 वीं साल के बाद दुखों का बोझ लद जाता है,और अपने को आराम में नही रखपाते हैं.वॄष पॄथ्वी तत्व वाली राशि और भू मध्य रेखा से 20 अंश पर मानी गई है,वॄष,कन्या,मकर, का त्रिकोण,इनको शुक्र-बुध-शनि की पूरी योग्यता देता है,माया-व्यापार-कार्य,या धन-व्यापार-कार्य का समावेश होने के कारण इस राशि वाले धनी होते चले जाते है,मगर शनि की चालाकियों के कारण यह लोग जल्दी ही बदनाम भी हो जाते हैं.गाने बजाने और अपने कंठ का प्रयोग करने के कारण इनकी आवाज अधिकतर बुलन्द होती है.अपने सहायकों से अधिक दूरी इनको बर्दास्त नही होती है.
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