Tuesday, 27 May 2014

कर्क राशि (Cancer) नक्षत्र चरणफ़ल

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  • पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण के मालिक हैं गुरु-चन्द्रमा,जातक के अन्दर कल्पनाशीलता भरते हैं.
  • पुष्य नक्षत्र के पहले चरण के मालिक शनि-सूर्य हैं,जो कि जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं,और जातक में अहम की भावना बढाते हैं,कार्य पिता के साथ होने से जातक को अपने आप कार्यों के प्रति स्वतन्त्रता नही मिलने से उसे लगता रहता है,कि उसने जिन्दगी मे कुछ कर ही नही पाया है,जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है,जातक को परेशानी ही मिलती है. जिसके
    साथ मिलकर कार्य करने की कोशिश करता है,सामने वाला भी कार्य हीन होकर बेकार हो जाता है.भदावरी ज्योतिष के अनुसार एक वॄतांत मिलता है,कि इस तरह का जातक अपने लिये लगातार पिता से हट कर कार्य करने की कोशिश करता है,वह सबसे पहले खान विभाग मे क्रेसर लगाकर काम करता है,और कुछ दिनो में वह खान विभाग बन्द कर देता है,खान (शनि) के बाद वह राजनीति (सूर्य) में जाने की कोशिश करता है,और कुछ दिनों मे वह सरकार ही गिर जाती है,वह फ़िर एक बार अपना भाग्य रेलवे के कामों की तरफ़ ले जाता है,और एक ठेकेदार के साथ मिलकर कार्य करने की कोशिश करता है,कुछ समय बाद जिस ठेकेदार के साथ मिलकर कार्य करता है,वह भी फ़ेल होकर घर बैठ जाता है,तीसरी बार जमीनी कामों मे अपना भाग्य अजवाने के लिये वह जमीनो को खरीदने बेचने का काम करना चाहता है,लेकिन जिन जमीनो के लिये वह सौदा करना चाहता है,उन जमीनो के मालिक अपना फ़ैसला ही बदल कर बेचने की मनाही कर देते है.इस प्रकार से बाद में वह अपने पिता के द्वारा चलाया जाने वाला एक छोटा सा जनरल स्टोर पिता के साथ चलाता है,और आज भी पैंतालीस साल की उम्र में बेरोजगारी का जीवन बिता रहा है.
  • पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक शनि-बुध हैं,शनि कार्य और बुध बुद्धि का ग्रह है,दोनो मिलकर कार्य करने के प्रति बुद्धि को प्रदान करने के बाद जातक को होशियार बना देते है,जातक मे भावनात्मक पहलू खत्म सा हो जाता है और गम्भीरता का राज हो जाता है.
  • तीसरे चरण के मालिक ग्रह शनि-शुक्र हैं,शनि जातक के पास धन और जायदाद देता है,तो शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है.शनि अधिक वासना देता है,तो शुक्र भोगों की तरफ़ जाता है.
  • चौथे चरण के मालिक शनि-मंगल है,जो जातक में जायदाद और कार्यों के प्रति टेकनीकल रूप से बनाने और किराये आदि के द्वारा धन दिलवाने की कोशिश करते हैं,शनि दवाई और मंगल डाक्टर का रूप बनाकर चिकित्सा के क्षेत्र में जातक को ले जाते हैं.
  • अश्लेशा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक बुध-गुरु है,बुध बोलना और गुरु ज्ञान के लिये,जातक को उपदेशक बनाने के लिये दोनो अपनी शक्ति प्रदान करते है,बुध और गुरु की युती जातक को धार्मिक बातों को प्रसारित करने के प्रति भी अपना प्रभाव देते हैं.
  • दूसरे चरण के मालिक बुध-शनि है,जो जातक को बुध आंकडे और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं.
  • तीसरे चरण के मालिक भी बुध-शनि हैं,जो कि कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनाने में जातक को सफ़लता देते है,जातक एस्टीमेट बनाने मे कुशल हो जाता है.
  • चौथे चरण के मालिक बुध-गुरु होते हैं,जो जातक में देश विदेश में घूमने और नई खोजों के प्रति जाने का उत्साह देते है.

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