- पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण के मालिक हैं गुरु-चन्द्रमा,जातक के अन्दर कल्पनाशीलता भरते हैं.
- पुष्य
नक्षत्र के पहले चरण के मालिक शनि-सूर्य हैं,जो कि जातक को मानसिक रूप से
अस्थिर बनाते हैं,और जातक में अहम की भावना बढाते हैं,कार्य पिता के साथ
होने से जातक को अपने आप कार्यों के प्रति स्वतन्त्रता नही मिलने से उसे
लगता रहता है,कि उसने जिन्दगी मे कुछ कर ही नही पाया है,जिस स्थान पर भी वह
कार्य करने की इच्छा करता है,जातक को परेशानी ही मिलती है. जिसके
- पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक शनि-बुध हैं,शनि कार्य और बुध बुद्धि का ग्रह है,दोनो मिलकर कार्य करने के प्रति बुद्धि को प्रदान करने के बाद जातक को होशियार बना देते है,जातक मे भावनात्मक पहलू खत्म सा हो जाता है और गम्भीरता का राज हो जाता है.
- तीसरे चरण के मालिक ग्रह शनि-शुक्र हैं,शनि जातक के पास धन और जायदाद देता है,तो शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है.शनि अधिक वासना देता है,तो शुक्र भोगों की तरफ़ जाता है.
- चौथे चरण के मालिक शनि-मंगल है,जो जातक में जायदाद और कार्यों के प्रति टेकनीकल रूप से बनाने और किराये आदि के द्वारा धन दिलवाने की कोशिश करते हैं,शनि दवाई और मंगल डाक्टर का रूप बनाकर चिकित्सा के क्षेत्र में जातक को ले जाते हैं.
- अश्लेशा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक बुध-गुरु है,बुध बोलना और गुरु ज्ञान के लिये,जातक को उपदेशक बनाने के लिये दोनो अपनी शक्ति प्रदान करते है,बुध और गुरु की युती जातक को धार्मिक बातों को प्रसारित करने के प्रति भी अपना प्रभाव देते हैं.
- दूसरे चरण के मालिक बुध-शनि है,जो जातक को बुध आंकडे और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं.
- तीसरे चरण के मालिक भी बुध-शनि हैं,जो कि कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनाने में जातक को सफ़लता देते है,जातक एस्टीमेट बनाने मे कुशल हो जाता है.
- चौथे चरण के मालिक बुध-गुरु होते हैं,जो जातक में देश विदेश में घूमने और नई खोजों के प्रति जाने का उत्साह देते है.
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