कर्क जातक बचपन में प्राय: दुर्बल होते हैं,किन्तु आयु के साथ साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है,चूंकि कर्क कालपुरुष की वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है,अत: कर्क जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है,अधिक कल्पना शक्ति के कारण कर्क जातक सपनों के जाल बुनते रहते हैं,जिसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है,उन्हें फ़ेफ़डों के रोग,फ़्लू,खांसी,दमा,श्वास रोग,प्लूरिसी, और क्षय रोग भी होते हैं,उदर रोग,और स्नावयिक दुरबलता,भय की भावना,मिर्गी,पीलिया,कैंसर, और गठिया रोग भी होते देखे गये है.
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