सूर्य ग्रह के रत्नों मे माणिक और उपरत्नो में लालडी, तामडा,और महसूरी.पांच रत्ती का रत्न या उपरत्न रविवार को कृत्तिका नक्षत्र में अनामिका उंगली में सोने में धारण करनी चाहिये.इससे इसका दुष्प्रभाव कम होना चालू हो जाता है.और अच्छा रत्न पहिनते ही चालीस प्रतिशत तक फ़ायदा होता देखा गया है.रत्न की विधि विधान पूर्वक उसकी ग्रहानुसार प्राण प्रतिष्ठा अगर नही की जाती है,तो वह रत्न प्रभाव नही दे सकता है.इसलिये रत्न पहिनने से पहले अर्थात अंगूठी में जडवाने से पहले इसकी प्राण प्रतिष्ठा करलेनी चाहिये.क्योंकि पत्थर तो अपने आप में पत्थर ही है,जिस प्रकार से मूर्तिकार मूर्ति को तो बना देता है,लेकिन जब उसे मन्दिर में स्थापित किया जाता है,तो उसकी विधि विधान पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद ही वह मूर्ति अपना असर दे सकती है.इसी प्रकार से अंगूठी में रत्न तभी अपना असर देगा जब उसकी विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी.
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