जातक के गल्ती करने और आत्म विश्लेषण के बाद जब निन्दनीय कार्य किये जाते हैं,तो सूर्य उन्हे बीमारियों और अन्य तरीके से प्रताडित करने का काम करता है,सबसे बडा रोग निवारण का उपाय है कि किये जाने वाले गलत और निन्दनीय कार्यों के प्रति पश्चाताप,और फ़िर से नही करने की कसम,और जब प्रायश्चित कर लिया जाय तो रोगों को निवारण के लिये रत्न,जडी,बूटियां,आदि धारण की जावें,और मंत्रों का नियमित जाप किया जावे.सूर्य ग्रह के द्वारा प्रदान कियेजाने वाले रोग है- सिर दर्द,बुखार,नेत्र विकार,मधुमेह,मोतीझारा,पित्त रोग,हैजा,हिचकी. यदि औषिधि सेवन से भी रोग ना जावे तो समझ लेना कि सूर्य की दशा या अंतर्दशा लगी हुई है.और बिना किसी से पूंछे ही मंत्र जाप,रत्न या जडी बूटी का प्रयोग कर लेना चाहिये.इससे रोग हल्का होगा और ठीक होने लगेगा.
0 comments:
Post a Comment