Tuesday, 27 May 2014

कर्क राशि (Cancer Health & Deasease) स्वास्थ्य - रोग

कर्क जातक बचपन में प्राय: दुर्बल होते हैं,किन्तु आयु के साथ साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है,चूंकि कर्क कालपुरुष की वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है,अत: कर्क जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है,अधिक कल्पना शक्ति के कारण कर्क जातक सपनों के जाल बुनते रहते हैं,जिसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है,उन्हें फ़ेफ़डों के रोग,फ़्लू,खांसी,दमा,श्वास रोग,प्लूरिसी, और क्षय रोग भी होते हैं,उदर रोग,और स्नावयिक दुरबलता,भय की भावना,मिर्गी,पीलिया,कैंसर, और गठिया रोग भी होते देखे गये है.

कर्क राशि (Cancer Economical Condition of Cancer) आर्थिक गतिविधिया

कर्क जातक बडी बडी योजनाओं का सपना देखने वाले होते हैं,परिश्रमी और उद्यमी होते हैंउनको प्राय: अप्रत्यासित सूत्र या विचित्र साधनों से और अजनबियों के संपर्क में आने से आर्थिक लाभ होता है,कुच अन्य आर्थिक क्षेत्र जिनमे वो सफ़ल हो सकते है,उअन्के अन्दर जैसे दवाओं और द्रव्यों का आयात,अन्वेशण और खोज,भूमि या खानों का विकास,रेस्टोरेन्ट,जल से प्राप्त होने वाली वस्तुओं,और दुग्ध पदार्थ आदि,वे जन उपयोगी बडी बडी कम्पनियों में धन लगाना भी उनके लिये लाभदायक रहता है.

कर्क राशि (Cancer) प्रकॄति - स्वभाव


कर्क जातकों की प्रवॄति और स्वभाव समझने के लिये हमें कर्क के एक विशेष गुण की आवश्य ध्यान देना होगा,कर्क केकडा जब किसी वस्तु या जीव को अपने पंजों के जकड लेता है,तो उसे आसानी से नही छोडता है,भले ही इसके लिये उसे अपने पंजे गंवाने पडें. कर्क जातकों में अपने प्रेम पात्रों तथा विचारोम से चिपके रहने की प्रबल भावना होती है,यह भावना उन्हें ग्रहणशील,एकाग्रता,और धैर्य के गुण प्रदान करती है,उनका मूड बदलते देर नही लगती है,उनके अन्दर अपार कल्पना शक्ति होती है,उनकी स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है,अतीत का उनके लिये भारी महत्व होता है,कर्क जातकों को अपने परिवार में विशेषकर पत्नी तथा पुत्र के के प्रति प्रबल मोह होता है,उनके बिना उनका जीवन अधूरा रहता है,मैत्री को वे जीवन भर निभाना जानते हैं,अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं,तथा खुद पर किसी भी प्रकार का अंकुश थोपा जाना सहन नहीं करते,ऊंचे पदों पर पहुंचते हैं,और भारी यश प्राप्त करते हैं,वो उत्तम कलाकार,लेखक,संगीतज्ञ, या नाटककार बनते हैं,कुछ व्यापारी या उत्तम मनोविश्लेषक बनते हैं,अपनी गुप्त विद्याओं धर्म या किसी असाधारण जीवन दर्शन में वो गहरी दिलचस्पी पैदा कर लेते हैं.

कर्क लगन (Cancer)

जिन जातकों के जन्म समय में निरयण चन्द्रमा कर्क राशि में संचरण कर रहा होता है,उनकी जन्म राशि कर्क मानी जाती है,जन्म के समय लगन कर्क राशि के अन्दर होने से भी कर्क का ही प्रभाव मिलता है,कर्क लगन मे जन्म लेने वाला जातक श्रेष्ठ बुद्धि वाला,जलविहारी,कामुक,कॄतज्ञ,ज्योतिषी,सुगंधित पदार्थों का सेवी,और भोगी होता है,उसे शानो शौकत से रहना पसंद होता है,वो असाधरण प्रतिभा से अठखेलियां करता है,तथा उत्कॄष्ट आदर्श वादी,सचेतक, और निष्ठावान होता है,उसके रोम रोम में मातॄ-भक्ति भरी रहती है.

कर्क राशि (Cancer) नक्षत्र चरणफ़ल

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  • पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण के मालिक हैं गुरु-चन्द्रमा,जातक के अन्दर कल्पनाशीलता भरते हैं.
  • पुष्य नक्षत्र के पहले चरण के मालिक शनि-सूर्य हैं,जो कि जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं,और जातक में अहम की भावना बढाते हैं,कार्य पिता के साथ होने से जातक को अपने आप कार्यों के प्रति स्वतन्त्रता नही मिलने से उसे लगता रहता है,कि उसने जिन्दगी मे कुछ कर ही नही पाया है,जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है,जातक को परेशानी ही मिलती है. जिसके
    साथ मिलकर कार्य करने की कोशिश करता है,सामने वाला भी कार्य हीन होकर बेकार हो जाता है.भदावरी ज्योतिष के अनुसार एक वॄतांत मिलता है,कि इस तरह का जातक अपने लिये लगातार पिता से हट कर कार्य करने की कोशिश करता है,वह सबसे पहले खान विभाग मे क्रेसर लगाकर काम करता है,और कुछ दिनो में वह खान विभाग बन्द कर देता है,खान (शनि) के बाद वह राजनीति (सूर्य) में जाने की कोशिश करता है,और कुछ दिनों मे वह सरकार ही गिर जाती है,वह फ़िर एक बार अपना भाग्य रेलवे के कामों की तरफ़ ले जाता है,और एक ठेकेदार के साथ मिलकर कार्य करने की कोशिश करता है,कुछ समय बाद जिस ठेकेदार के साथ मिलकर कार्य करता है,वह भी फ़ेल होकर घर बैठ जाता है,तीसरी बार जमीनी कामों मे अपना भाग्य अजवाने के लिये वह जमीनो को खरीदने बेचने का काम करना चाहता है,लेकिन जिन जमीनो के लिये वह सौदा करना चाहता है,उन जमीनो के मालिक अपना फ़ैसला ही बदल कर बेचने की मनाही कर देते है.इस प्रकार से बाद में वह अपने पिता के द्वारा चलाया जाने वाला एक छोटा सा जनरल स्टोर पिता के साथ चलाता है,और आज भी पैंतालीस साल की उम्र में बेरोजगारी का जीवन बिता रहा है.
  • पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक शनि-बुध हैं,शनि कार्य और बुध बुद्धि का ग्रह है,दोनो मिलकर कार्य करने के प्रति बुद्धि को प्रदान करने के बाद जातक को होशियार बना देते है,जातक मे भावनात्मक पहलू खत्म सा हो जाता है और गम्भीरता का राज हो जाता है.
  • तीसरे चरण के मालिक ग्रह शनि-शुक्र हैं,शनि जातक के पास धन और जायदाद देता है,तो शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है.शनि अधिक वासना देता है,तो शुक्र भोगों की तरफ़ जाता है.
  • चौथे चरण के मालिक शनि-मंगल है,जो जातक में जायदाद और कार्यों के प्रति टेकनीकल रूप से बनाने और किराये आदि के द्वारा धन दिलवाने की कोशिश करते हैं,शनि दवाई और मंगल डाक्टर का रूप बनाकर चिकित्सा के क्षेत्र में जातक को ले जाते हैं.
  • अश्लेशा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक बुध-गुरु है,बुध बोलना और गुरु ज्ञान के लिये,जातक को उपदेशक बनाने के लिये दोनो अपनी शक्ति प्रदान करते है,बुध और गुरु की युती जातक को धार्मिक बातों को प्रसारित करने के प्रति भी अपना प्रभाव देते हैं.
  • दूसरे चरण के मालिक बुध-शनि है,जो जातक को बुध आंकडे और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं.
  • तीसरे चरण के मालिक भी बुध-शनि हैं,जो कि कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनाने में जातक को सफ़लता देते है,जातक एस्टीमेट बनाने मे कुशल हो जाता है.
  • चौथे चरण के मालिक बुध-गुरु होते हैं,जो जातक में देश विदेश में घूमने और नई खोजों के प्रति जाने का उत्साह देते है.

कर्क राशि (Cancer)

राशि चक्र की यह चौथी राशि है,यह उत्तर दिशा की द्योतक है,तथा जल त्रिकोण की पहली राशि है,इसका चिन्ह केकडा है,यह चर राशि है,इसका विस्तार चक्र 90 से 120 अंश के अन्दर पाया जाता है,इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है,इसके तीन द्रेष्काणों के स्वामी चन्द्रमा,मंगल और गुरु हैं,इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण,पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेशा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं.

मिथुन - स्वास्थ्य - रोग (Health & Desease) of Gemini

मिथुन राशि वालों का स्वास्थ्य कभी ठीक नही रहता है,लगातार दिमागी काम लेने से जैसे ही दिमाग में नकारात्मक प्रभाव का असर होता है फ़ौरन इनके पाचन तन्त्र पर प्रभाव पडता है,और सिर दर्द के साथ हाईपरटेन्सन जैसी बीमारियां इनके पास हमेशा मौजूद होती हैं,इनका मन ठीक है तो दुनिया इनके लिये ठीक होती है.मन के खराब होते ही इनका शरीर अस्वस्थ हो जाता है.जब इनका मन प्रसन्न हो तो ये लोग किसी भी बीमारी को भी चकमा दे सकते है.इन लोगों के लिये अगर कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह दे भी तो इनको मंजूर नही होती है,अधिक विज्ञापन वाली दवाइयों के प्रति इनका मन जाता रहता है.इनको अधिकतर जीभ के रोग,प्लूरिसी,निमोनिया,जैसे फ़ेफ़डों के रोग,सर्दी,जुकाम,ब्रोम्काइटिस,आईसीनोफ़ीलिया,और सांस वाले रोग इनको होने की संभावना रहती है.

मिथुन आर्थिक गतिविधियां Econimical Condition of Gemini

मिथुन राशि के जातक अधिक धन कमाने के चक्कर में लाटरी,शट्टेबाजी,शेयर बाजार,और कम्पनी प्रोमोटर के क्षेत्र में अपने को ले जाते हैं,और जल्दी लाभ न मिलकर उनको हानि ही मिलती है,इसके अलावा इनके जीवन के अन्दर उतार चढाव अपनी कन्या संतान के प्रति और उनके खर्चों के प्रति भी मिलती है.उनको बुद्धि वाले कामों मे ही सफ़लता मिलती है,अपने आप पैदा होने बाली मति और वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूअनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं,हर कार्य में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग अन्वेषण में भी सफ़लता लेते रहते हैं,और पत्रकार,लेखक,मीडिया कर्मी,भाषाओं की जानकारी,योजनाकार,भी बन सकते हैं.इनको यात्रा प्रिय होने के कारण एजेंट की भूमिका भी निभा सकते हैं,अच्छे बोलने वाले,उपदेश देने वाले,व्याख्याता, और उच्चाधिकारी भी बन जाते है.

मिथुन (Gemini) प्रकॄति और स्वभाव

सभी राशियों मे मिथुन राशि वालों को दुर्बोध माना जाता है.जैसा कि पहले बताया गया है कि इस राशि का निशान  स्त्री और पुरुष का जोडा है,जब एक ही मष्तिस्क सब कुछ करने में इतना माहिर होता है,तो जहां पर दो मष्तिस्क एक साथ होंगे तो वे क्या कर सकते है.नकारात्मक और सकारात्मक का एक साथ प्रभाव दिमागी रूप से है और नही है,का रूप बन जाता है.और अक्स्मात किसी भी बात का चमत्कार करने की हैसियत इनके अन्दर होती है,मिथुन राशि चक्र की प्रथम वायु तत्व वाली राशि है,और इसका स्वामी देवता कुल का पक्षाधारी दूत बुध है,बुध एक ही पल में कहीं से कहीं पहुंच सकता है,यह शरीर मे मष्तिस्क का प्रतिधिनित्व करता है,बुध की धातु पारा है,और इसका स्वभाव जरा सी गर्मी सर्दी मे ऊपर नीचे होने वाला है,इस राशि के जातकों मे दूसरे की मन की बाते पढने,दूरद्रिष्टि,बहुमुखी प्रतिभा,होती है.उनसे अधिक जल्दी से,और अधिक चतुरायी से और अधिक सफ़लता से कार्य करने की क्षमता के कारण कोई दूसरा बराबरी नही कर सकता है.गति (Speed) से उनको प्रेम होता है.एक जगह रहना उनके लिये मौत के समान है,संवेदनशीलता और चंचलता उनका जीवन है.वे अपने और दूसरों के जीवन को अधिक सरस,और सुन्दर बनाने के लिये हमेशा प्रयास रत होते हैं.बौद्धिक संतोष उनकी प्रेरक शक्ति है,जब भी कोई समस्या आती है तो वे लागातार उसकी जडों तक जाने की कोशिश करते रहेंगे.वे अपने विचारों को प्रकट करने के लिये हमेशा अपने दोस्तों और साथियों की तलाश में रहते है.

मिथुन लगन (Gemini)

मिथुन राशि में जन्म लेने के बाद जातक मे चंचलता रहती है.शरीर बलबान नही रह पाता है,आंखों का रंग भूरा या नीला होता है,शरीर का रंग सांवला या गोरा कैसा भी हो सकता है लेकिन बुढापे तक आकर्षण कभी समाप्त नही होता है.जातक दूसरों के घर की बातों को बहुत जल्दी से जान जाता है,और एक दूसरे की बात को स्वभाव के अनुसार प्रसारित करने की अच्छी योग्यता रखता है.जातक के अन्दर भाव होता है कि वह किसी को बसा सकता है तो बसे हुए को उजाड भी सकता है,लम्बा कद और गोल चेहरा हमेशा आकर्षित होता है.स्त्रियां अधिअक्तर पुरुषों मे और पुरुष हमेशा स्त्रियों में अपने को संलग्न रखते है.नाचना,बजाना,कामासुख की तरफ़ अपने लगातार लगाये रखना,हर काम और बात को मजाक के लहजे में ले जाना,दूत कर्म करने वाला,अपने मन से आगे आने वाली समस्या का समाधान बना कर जीवन को भविष्य की आफ़तों से बचा लेना ,अधिक कन्या संतान पैदा करने के बाद दूसरे परिवारों से अपने को जोडकर रिस्तेदारियों को बढाकर परिवारिक माहौल को अपने प्रति वफ़ादार बनाना,अपनी बातों और अपने कामों से पने जीवन साथी को नेस्तनाबूद कर देना,सरकार और ब्याज आदि से पैसा लेने के कारण जीवन में अपने को दूसरों के साथ व्यवहार बनाते रहना आदि कारक जीवन में मिलते हैं,मिथुन लगन वालो की आयु मध्यम होती है,उअन्की जीवन की पहली अवस्था दुखी,और अपने परिवार की अपेक्षा दूसरे परिवारोम के द्वारा सहायता मिलने से जीवन आगे बढता है,मध्यमवस्था में अपने निजी कार्यों के द्वारा अपने लिये साधन इकट्ठे करने में परेशान रहना,और आयु के अन्तिम अवस्था में पूर्ण रूप से सुखी होते ही चल बसना आधि देखे गये हैं.भाग्योदय 32 से 35 साल के मध्य होता है.

मिथुन राशि (Gemini) नक्षत्र चरण फ़ल

मॄगसिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं.मंगल शक्ति और शुक्र माया है,जातक के अन्दर माया के प्रति बहुत ही बलवती भावना पायी जाती है,भदावरी ज्योतिष के अनुसार जातक अपने जीवन साथी के प्रति हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है परिणाम स्वरूप जीवन साथी में हमेशा माया के प्रति तकनीकी कारणों का प्रभाव रहता है,और किसी न किसी बात पर हमेशा घरेलू कारणों के लिये खटर पटर चलती रहती है.जीवन साथी से वियोग भी होता है,मगर अधिक दिनों के लिये नही.मंगल और शुक्र की युती के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है,जातक वाहनों के प्रति इंजीनियरिंग की अच्छी जानकारी रखता है.अधिक तर घरेलू साज सज्जा वाले लोग इसी श्रेणी के अन्दर पैदा होते हैं. 

इस नक्षत्र के चौथे चरण के मालिक मंगल-मंगल होने की कारण जातक जवान का पक्का बन जाता है,अद्भुत शक्ति का मालिक मंगल अगर बानाने के लिये आ जाये तो सब कुछ बनाता चला जाता है,और बिगाडने के लिये शुरु हो जाये तो सब कुछ बिगाड कर फ़ेंक देता है.

आद्रा के प्रथम चरण के मालिक राहु-गुरु हैं,गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का चेला,दोनो मिलकर जातक में आसमानी ताकतों को विस्तारित करने में काफ़ी माहिर करते है,जातक का रुझान अंतरिक्ष में जाने और ब्रहमाण्ड के बारे मे पता करने की योग्यता जन्म जात पैदा होती है.सारी जिन्दगी तकनीकी शिक्षा के मिलने पर वह वायुयान और सेटेलाइट, के बारे में अपनी ज्ञान की सेमा को बढाता रहता है और किसी खराब ग्रह के दखल से वह शिक्षा के प्रति नही जाने पर पराशक्तियों के सहारे सूक्षम आत्मा के द्वारा आसमानीय सैर करता है.
इस नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक राहु-शनि हैं,राहु शनि के साथ मिलने से जातक के अन्दर शिक्षा और शक्ति उतपादित करने वाले कारकों के प्रति ले जाता है.जातक का कार्य शिक्षा स्थानों मे या बिजली,पेट्रोल,या वाहन वाले कामों की तरफ़ अपने को ले जाता है.राहु के सथ शनि के आने से जातक का स्वभाव अपने में ही अधिक्तर सीमित हो जाता है.

इस नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक भी राहु-शनि हैं और जो भी फ़ल मिलता है वह उपरोक्त कारकों के अनुसार ही मिलता है.फ़र्क केवल इतना मिलता है,कि जातक एक दायरे मे रह कर ही कार्य कर पाता है.इस नक्षत्र के मालिक राहु-गुरु है,और इसके फ़ल भी आद्रा नक्षत्र के प्रथम चरण के अनुसार ही मिलते है,फ़र्क इतना होता है,कि जातक का पूरा जीवन कार्योपरान्त फ़ल दायक बनता है.
   
पुनर्वसु नक्षत्र के पहले चरण के मालिक गुरु-मंगल हैं,जातक के अन्दर एक मर्यादा जो धर्म में लीन करती है और जातक सामाजिक और धार्मिक कामों में अपने को रत रखता है.गुरु जो ज्ञान का मालिक है,उसे मंगल का साथ मिलने पर उच्च पदासीन करने के लिये और रक्षा आदि विभागो मे कार्य करने के लिये उद्धत करता है.
    
इस नक्षत्र के दूसरे चरण के मालिक गुरु-शुक्र होने से जातक के अन्दर अपने ही विचारों में अपने ही कारणों से उलझने का कारण पैदा होता है,वह अपने ज्ञान को भौतिक सुखों के प्रति खर्च करने की चाहत रखता है.वर्मान के अनुसार जातक ज्ञान और द्र्श्य को बखान करने के प्रति लालियत रहता है.
    इस नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक गुरु-बुध होने से जातक अपने को बौद्धिकता की तरफ़ ले जाता है और वह अपने ज्ञान को बुद्धि के प्रभाव से बखान करने और प्रवचन करने के प्रति मानसिकता रखता है.

मिथुन राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है,जो जातक चन्द्रमा की निरयण समय में जन्म लेते हैं,वे मिथुन राशि के कहे जाते हैं,और जो जातक मिथुन लगन में पैदा होते हैं,वे भी उपरोक्त कारणों के प्रति जाते देखे जाते है.

मिथुन राशि (Gemini)

AUM JYOTISH KENDRAराशि चक्र की यह तीसरी राशि है, इस राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है,इसका विस्तार राशि चक्र के 60 अंश से 90 अंश के बीच है,मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह है. इस राशि के तेन द्रेष्काणों के स्वामी बुध-बुध,बुध-शुक्र,और बुध-शनि हैं.इस राशि मे मॄगसिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण,आद्रा नक्षत्र के चार चरण,और पुनर्वसु के तीन चरण आते हैं.

Sunday, 18 May 2014

वॄष राशि (Taurus) स्वास्थ्य और रोग

वॄष राशि वालो के लिये अपने ही अन्दर डूबे रहने की और आलस की आदत के अलावा और कोई बडी बीमारी नही होती है,इनमे शारीरिक अक्षमता की आदत नही होती है,इनके अन्दर टांसिल,डिप्थीरिया,पायरिया,जैसे मुँह और गले के रोग होते हैं,जब तक इनके दांत ठीक होते है,यह लोग आराम से जीवन को निकालते हैं,और दांत खराब होते ही इनका जीवन समाप्ति की ओर जाने लगता है.बुढापे में जलोदर और लकवा वाले रोग भी पीछे पड जाते है.

वॄष राशि आर्थिक गतिविधियां (Economical Condition For Taurus)

इस राशि के जातको मे धन कमाने की प्रवॄति और धन को जमा करने की बहुत इच्छा होती है,धन की राशि होने के कारण अक्सर ऐसे जातक खुद को ही धन के प्रयुक्त करते हैं,बुध की प्रबलता होने के कारण जमा योजनाओंमे उनको विश्वास होता है,इस राशि के लोग लेखाकारी,अभिनेता, निर्माता,निर्देशक, कलाकार, सजावट कर्ता, सौन्दर्य प्रसाधन का कार्य करने वाले, प्रसाधन सामग्री के निर्माण कर्ता,आभूषण निर्माण कर्ता,और आभूषण का व्यवसाय करने वाले, विलासी जीवन के साधनो को बनाकर या व्यापार करने के बाद कमाने वाले,खाद्य सामग्री के निर्माण कर्ता, आदि काम मिलते हैं.नौकरी में सरकारी कर्मचारी,सेना या नौसेना मे उच्च पद,और चेहरे आदि तथा चेहरा सम्भालने वाले भी होते हैं.धन से धन कमाने के मामले में बहुत ही भाग्यवान माने जाते हैं.

वॄष राशि (Taurus) की प्रकॄति

वृष राशि वाले जातक शांति पूर्वक रहना पसंद करते हैं,उनको जीवन में परिवर्तन से चिढ सी होती है,इस राशि के जातक अपने को बार बार अलग माहौल में रहना अच्छा नही लगता है.इस प्रकार के लोग सामाजिक होते हैं और अपने से उच्च लोगों को आदर की नजर से देखते है.जो भी इनको प्रिय होते हैं उनको यह आदर खूब ही देते हैं,और सत्कार करने में हमेशा आगे ही रहते है.सुखी और विलासी जीवन जीना पसंद करते हैं.

वॄष (Taurus) लगन

जब चन्द्रमा निरयण पद्धति से वॄष राशि में होता है तो जातक की वॄष राशि मानी जाती है,जन्म समय में जन्म लगन वॄष होने पर भी यही प्रभाव जातक पर होता है.इस राशि मे पैदा होने वाले जातक शौकीन तबियत,सजावटी स्वभाव,जीवन साथी के साथ मिलकर कार्य करने की वॄत्ति,अपने को उच्च समाज से जुड कर चलने वाले,अपने नाम को दूर दूर तक फ़ैलाने वाले,हर किसी के लिये उदार स्वभाव,भोजन के शौकीन,बहुत ही शांत प्रकॄति,मगर जब क्रोध आजाये तो मरने मारने के लिये तैयार,बचपन में बहुत शैतान,जवानी मे कठोर परिश्रमी,और बुढापे में अधिक चिताओं से घिरे रहने वाले,जीवन साथी से वियोग के बाद दुखी रहने वाले,और अपने को एकांत में रखने वाले,पाये जाते हैं.इनके जीवन में उम्र की 45 वीं साल के बाद दुखों का बोझ लद जाता है,और अपने को आराम में नही रखपाते हैं.वॄष पॄथ्वी तत्व वाली राशि और भू मध्य रेखा से 20 अंश पर मानी गई है,वॄष,कन्या,मकर, का त्रिकोण,इनको शुक्र-बुध-शनि की पूरी योग्यता देता है,माया-व्यापार-कार्य,या धन-व्यापार-कार्य का समावेश होने के कारण इस राशि वाले धनी होते चले जाते है,मगर शनि की चालाकियों के कारण यह लोग जल्दी ही बदनाम भी हो जाते हैं.गाने बजाने और अपने कंठ का प्रयोग करने के कारण इनकी आवाज अधिकतर बुलन्द होती है.अपने सहायकों से अधिक दूरी इनको बर्दास्त नही होती है.

वॄष (Taurus) नक्षत्र चरण फ़ल

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  • कॄत्तिका के दूसरे चरण और तीसरे चरण के मालिक सूर्य-शनि,जातक के जीवन में पिता पुत्र की कलह फ़ैलाने मे सहायक होते है,जातक का मानस सरकारी कामों की तरफ़ ले जाने,और सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता देते हैं,पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है.जातक अधिक तर मंगल के बद हो जाने की दशा में शराब,काबाब और भूत के भोजन में अपनी रुचि को प्रदर्शित करता है.
  • कॄत्तिका के चौथे चरण के मालिक सूर्य और गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है,वह जब भी कोई बात करता है तो गर्व की बात करता है,सरकारी क्षेत्रों की शिक्षाये और उनके काम जातक को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं,और किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है.
  • रोहिणी के प्रथम चरण का मालिक चन्द्रमा-मंगल है,दोनो का संयुक्त प्रभाव जातक के अन्दर मानसिक गर्मी को प्रदान करता है,कल कारखानों,अस्पताली कामों ,और जनता के झगडे सुलझाने का काम जातक कर सकता है,जातक की माता आपत्तियों से घिरी होती है,और पिता का लगाव अन्य स्त्रियों से बना रहता है.
  • रोहिणी के दूसरे चरण के मालिक चन्द्र-शुक्र जातक को अधिक सौन्दर्य बोधी और कला प्रिय बनादेता है.जातक कलाकारी के क्षेत्र मे अपना नाम करता है,माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामजस्यता लाता है,जातक या जातिका अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है.
  •  रोहिणी के तीसरे चरण के मालिक चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है,और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है,जातक या जातिका के जीवन में व्यापारिक यात्रायें काफ़ी होती हैं,जातक अपने ही बनाये हुए उसूलों पर अपना जीवन चलाता है,अपनी ही क्रियायों से वह मकडी जैसा जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने जाल में फ़ंस कर अपने को समाप्त भी कर लेता है.
  • रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्र-चन्द्र है,जातक के अन्दर हमेशा उतार चढाव की स्थिति बनी रहती है,वह अपने ही मन का राजा होता है.
  • मॄगसिरा के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य हैं,अधिक तर इस युति मै पैदा होने वाले जातक अपने शरीर से दुबले पतले होने के वावजूद गुस्से की फ़ांस होते हैं,वे अपने को अपने घमंड के कारण हमेशा अन्दर ही अन्दर सुलगाते रहते हैं.उनके अन्दर आदेश देने की वॄति होने से सेना या पुलिस में अपने को निरंकुश बनाकर रखते है,इस तरह के जातक अगर राज्य में किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी सम्पत्ति को किसी भी तरह से क्षति नहीं होने देते.
  • मॄगसिरा के दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध जातक के अन्दर कभी कठोर और कभी नर्म वाली स्थिति पैदा कर देते हैं,कभी तो जातक बहुत ही नरम दिखाई देता है,और कभी बहुत ही गर्म मिजाजी बन जाता है.जातक का मन कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक सामान को बनाने और इन्ही की इन्जीनियरिंग की तरफ़ सफ़लता भी देता है.

वॄष राशि (Taurus)

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राशि चक्र की यह दूसरी राशि है,इस राशि का चिन्ह "बैल" है, बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है. यह स्वभाव वॄष राशि के जातक मे भी पाया जाता है, वॄष राशि का विस्तार राशि चक्र के 30 अंश से 60 अंश के बीच पाया जाता है,इसका स्वामी शुक्र ग्रह है. इसके तीन देष्काणों में उनके स्वामी ’शुक्र-शुक्र”,शुक्र-बुध’,और शुक्र-शनि,हैं. इसके अन्तर्गत कॄत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण, औ मॄगसिरा
के प्रथम दो चरण आते हैं.इन चरणों के स्वामी कॄत्तिका के द्वितीय चरण के स्वामी सूर्य-शनि,तॄतीय चरण के स्वामी चन्द्रमा-शनि,चतुर्थ चरण के स्वामी सूर्य-गुरु,हैं.रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी चन्द्रमा-मंगल, दूसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-शुक्र, तीसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-बुध, चौथे चरण के स्वामी चन्द्रमा-चन्द्रमा, है.मॄगसिरा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य, और दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध है.

Thursday, 1 May 2014

Aries (मेष) Health & Disease For Aries

स्वास्थ्य और रोग - अधिकतर मेष राशि वाले जातकों का शरीर ठीक ही रहता है,अधिक काम करने के उपरान्त वे शरीर को निढाल बना लेते हैं,मंगल के मालिक होने के कारण उनके खून मे बल अधिक होता है,और कम ही बीमार पडते हैं,उनके अन्दर रोगों से लडने की अच्छी क्षमता होती है.अधिकतर उनको अपनी सिर की चोटों से बच कर रहना चाहिये,मेष से छठा भाव कन्या राशि का है,और जातक में पाचन प्रणाली मे कमजोरी अधिकतर पायी जाती है, मल  पेट में जमा होने के कारण सिरदर्द,जलन,तीव्र रोगों,सिर की   बीमारियां, लकवा,मिर्गी, मुहांसे,अनिद्रा,दाद,आधाशीशी,चेचक,और मलेरिया आदि के रोग बहुत जल्दी आक्रमण करते हैं.

मेष आर्थिक गतिविधियां (Economical Condition) For Aries

आर्थिक गतिविधियां - मेष जातकों के अन्दर धन कमाने की अच्छी योग्यता होती है,उनको छोटे काम पसंद नही होते हैं,उनके दिमाग में हमेशा बडी बडी योजनायें ही चक्कर काटा करती है,राजनीति के अन्दर नेतागीरी,संगठन कर्ता,उपदेशक,अच्छा बोलने वाले,कम्पनी को प्रोमोट करने वाले,रक्षा सेवाओं में काम करने वाले,पुलिस अधिकारी,रसायन शास्त्री,शल्य चिकित्सिक,कारखानों ए अन्दर लोहे और इस्पात का काम करने वालेभी होते हैं,खराब ग्रहों का प्रभाव होने के कारण गलत आदतों में चले जाते हैं,और मारकाट या दादागीरी बाली बातें उनके दिमाग में घूमा करतीं हैं,और अपराध के क्षेत्र मे प्रवेश कर जाते हैं.

मेष प्रकॄति (Aries Nature)

मेष प्रकॄति- मेष अग्नि तत्व वाली राशि है,अग्नि त्रिकोण (मेष,सिंह,धनु) की यह पहली राशि है,इसका स्वामी मंगल अग्नि ग्रह है,राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढा देती है,यही कारण है कि मेश जातक ओजस्वी,दबंग,साहसी,और दॄढ इच्छाशक्ति वाले होते हैं,यह जन्म जात योद्धा होते हैं.मेश राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं.

मेष (Aries) लगन

मेष (Aries) लगन - जिन जातकों के जन्म समय में निरयण चन्द्रमा मेष राशि में संचरण कर रहा होता है,उनकी मेष राशि मानी जाती है,जन्म समय में लगन मे मेष राशि होने पर भी यह अपना प्रभाव दिखाती है.मेष लगन मे जन्म लेने वाला जातक दुबले पतले शरीर वाला,अधिक बोलने वाला,उग्र स्वभाव वाला, रजोगुणी, अहंकारी, चंचल,बुद्धिमान,धर्मात्मा,बहुत चतुर, अल्प संतति,अधिक पित्त वाला,सब प्रकार के भोजन करने वाला,उदार,कुलदीपक,स्त्रियों से अल्प स्नेह,इनका शरीर कुछ लालिमा लिये होता है. मेष लगन मे जन्म लेने वाले जातक अपनी आयु के 6,8,15,20,28,34,40,45,56, और 63 वें साल में शारीरिक कष्ट और धन हानि का सामना करना पडता है,16,20,28,34,41,48, और 51 साल मे जातक को धन की प्राप्ति वाहन सुख,भाग्य वॄद्धि,आदि विविध प्रकार के लाभ और आनन्द प्राप्त होते हैं.

मेष (Aries) - नक्षत्र चरणफल

नक्षत्र चरणफल -
अश्विनी भदावरी ज्योतिष नक्षत्र के प्रथम चरण के अधिपति केतु-मंगल जातक को अधिक उग्र और निरंकुश बना देता है.वह किसी की जरा सी भी विपरीत बात में या कर्य में जातक को क्रोधात्मक स्वभाव देता है,फ़लस्वरूप जातक बात बात मे झगडा करने को उतारू हो जाता है.जातक को किसी की आधीनता पसंद नही होती है.वह अपने अनुसार ही कार्य और बात करना पसंद करता है.
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  •  दूसरे चरण के अधिपति केतु-शुक्र,जातक को ऐसो आराम की जिन्दगी जीने के लिये मेहनत वाले कार्यों   से दूर रखता है,और जातक विलासी हो जाता है.
  •     तीसरे चरण के अधिपति केतु-बुध जातक के दिमाग में विचारों की स्थिरता लाता है,और जातक जो भी सोचता है,करने के लिये उद्धत हो जाता है.
  •     चौथे चरण के अधिपति केतु-चन्द्रमा जातक में भटकाव वाली स्थिति पैदा करता है,वह अपनी जिन्दगी में यात्रा को महत्व देता है,और जनता के लिये अपनी सहायतायें वाली सेवायें देकर पूरी जिन्दगी निकाल देगा.
 भरणी भदावरी ज्योतिष के प्रथम चरण के अधिपति शुक्र-सूर्य,जातक को अभिमानी और चापलूस प्रिय बनाता है.
दूसरा चरण के अधिपति शुक्र-बुध जातक को बुद्धि वाले कामों की तरफ़ और संचार व्यवस्था से धन कमाने की वॄत्ति देता है.
तीसरे चरण के अधिपति शुक्र-शुक्र विलासिता प्रिय और दोहरे दिमाग का बनाता है,लेकिन अपने विचारों को उसमे सतुलित करने की अच्छी योग्यता होती है.
चौथे चरण के अधिपति शुक्र-मंगल जातक में उग्रता के साथ विचारों को प्रकट न करने की हिम्मत देते हैं,वह हमेशा अपने मन मे ही लगातार माया के प्रति सुलगता रहता है.जीवन साथी के प्रति बनाव बिगाड हमेशा चलता रहता है,मगर जीवन साथी से दूर भी नही रहा जाता है.
    कॄत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण के अधिपति सूर्य-गुरु,जातक में दूसरों के प्रति सद्भावना और सदविचारों को देने की शक्ति देते हैं,वे अपने को समाज और परिवार में शालीनता की गिनती मे आते है.

मेष राशि

मेष (Aries) -
Aum Jyotish Kendraराशि चक्र की यह पहली राशि है,इस राशि का चिन्ह ”मेढा’ या भेडा है,इस राशि का विस्तार चक्र राशि चक्र के प्रथम 30 अंश तक (कुल 30 अंश) है.राशि चक्र का यह प्रथम बिन्दु प्रतिवर्ष लगभग 50 सेकेण्ड की गति से पीछे खिसकता जाता है.इस बिन्दु की इस बक्र गति ने ज्योतिषीय गणना में दो प्रकार की पद्धतियों को जन्म दिया है.भारतीय ज्योतिषी इस बिन्दु को स्थिर मानकर अपनी गणना करते हैं.इसे निरयण पद्धति कहा जाता है.और पश्चिम के ज्योतिषी इसमे अयनांश जोडकर ’सायन’ पद्धति अपनाते हैं.किन्तु हमे भारतीय ज्योतिष के आधार पर गणना करनी चाहिये.क्योंकि गणना में यह पद्धति भास्कर के अनुसार सही मानी गई है. मेष राशि पूर्व दिशा की द्योतक है,तथा इसका स्वामी ’मंगल’ है.इसके तीन द्रेष्काणों (दस दस अंशों के तीन सम भागों) के स्वामी क्रमश: मंगल-मंगल,मंगल-सूर्य,और मंगल-गुरु हैं.मेष राशि के अन्तर्गत अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण और कॄत्तिका का प्रथम चरण आते हैं.प्रत्येक चरण 3.20' अंश का है,जो नवांश के एक पद के बराबर का है.इन चरणों के स्वामी क्रमश: अश्विनी प्रथम चरण में केतु-मंगल,द्
वितीय चरण में केतु-शुक्र,तॄतीय चरण में केतु-बुध,चतुर्थ चरण में केतु-चन्द्रमा,भरणी प्रथम चरण में शुक्र-सूर्य,द्वितीय चरण में शुक्र-बुध,तॄतीय चरण में शुक्र-शुक्र,और भरणी चतुर्थ चरण में शुक्र-मंगल,कॄत्तिका के प्रथम चरण में सूर्य-गुरु हैं.