- मघा के प्रथम चरण का मालिक केतु-मंगल है,जो जातक में दिमागी रूप से आवेश पैदा करता है.
- द्वितीय चरण के मालिक केतु-शुक्र है,जो जातक में सजावटी और सुन्दरता के प्रति भावना को बढाता है.
- तीसरा चरण केतु-बुध के अन्तर्गत आता है,जो जातक में कल्पना करने और हवाई किले बनाने के लिये सोच पैदा करता है,
- चौथा चरण चन्द्र-केतु के अन्तर्गत आता है,जो जातक में की जाने वाली कल्पना शक्ति का विकास करता है.
- पूर्वाफ़ाल्गुनी नक्षत्र का प्रथम चरण शुक्र-सूर्य के सानिध्य में जातक को स्वाभाविक प्रवॄत्तियों की तरफ़ बढाता है.
- दूसरा चरण सुन्दरता का बोध करवाने में सहायक होता है.
- तीसरा चरण सुन्दरता के प्रति मोह देता है और कामुकता की तरफ़ भेजता है.
- चौथा चरण जातक के द्वारा किये गये वादे को क्रियात्मक रूप मे बदलने में सहायता करता है.
- उत्तराफ़ाल्गुनी नक्षत्र का प्रथम चरण जातक में अपने प्रति स्वतन्त्रता की भावना भरता है,और जातक को किसी की बात न मानने के लिये बाध्य करता है.
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